चलते चलते आज "फुर्सत" से मुलाकात हुई
मैंने पुछा और भाई केसे हो, आज केसे टकरा गए
हमसे मीले तो ज़माने हो गए................
कुछ गंभीरता से अपना चश्मा सम्भाल बोला
आजकाल मेरी माँग कुछ कम है
कोई मुझे पूछता कहॉ है
जब कीसी का दरवाजा खटखटकाऊ
जवाब मीले इतवार आना
आज ब्डे काम है.............
अरे हाँ दोस्त, मुझे भी इतवार तेरा इंतज़ार रहता है............
"फुर्सत" ने एक जोर का कश भरा
यार इतवार भी गया था
जवाब मीला आज भी समय नही है
घर के कुछ छोटे मोटे काम पडे
फीर कभी हो तो चले आना
आज हमे माफ़ करना..............
हा हा, मैं हंस दीया
अच्हा हाँ, ऐसा तो अपना भी हाल है
खेर फीर कभी मील बेठे चाय पीय्गे
आज तो मुझे भी कुछ जर्रुरी काम है
ऐसा केह , मैंने भी "फुर्सत" से मुँह मोडा..........
सच "फुरसत" तो यंही है पर हममे ही "फुरसत" नही ..............
स्वप्नील कुमार .....
Friday, June 27, 2008
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